दीपचंद सुथार
जोधपुर, मो- 9530051273
अगर कांटों से गुजरना ना होता, तो जीवन का आभास न होता।
मंजिल, मंजिल ही रह जाती, मानव का इतिहास न होता।।
यथार्थ में इतिहास व्यक्ति की श्रम बूंदों से ही लिखा जाता है। ये ही उसकी अन्तस निहित साहस का सुमधुर संगीत है। जो इंद्र धनुष की तरह उसकी प्रतिमा के रंगों को बिखेर कर सभी को अपनी ओर आकृष्ट कर देता है। अतः इससे कभी घबराना नहीं चाहिए, बल्कि दृढता के साथ सामना करना चाहिए। इसी को इंगित करते हुए मशहूर कवि हरिवंश राय बच्चन ने उचित ही लिखा है-
लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभीं हार नही होती।
अतः स्पष्ट है कि हम बाधाओं को चुनौती देकर अपने सपनों को साकार कर सकते हैं। किसी विद्वान ने कहा है कि- वह व्यक्ति प्रशंसा के योग्य है जो हालात को मुँह तोड जवाब देता है। इसी को लक्षित करते हुए कवि ने अपने साहसी उद्गारों को निम्न प्रकार प्रस्तुत किया है-
जो जहाज को डुबो दे , उसे तुफान कहते हैं। जो तुफान से टक्कर ले, उसे इंसान कहते हैं।।
प्रगतिशील व्यक्ति ऐसे ही विचारों के धनी होते हैं, जो पथ में आने वाली मुसीबतों का साहस, धैर्यता, कर्मष्ठता और संकल्प के साथ सामना करते निर्भय होकर निरन्तर बढ़ते रहते हैं। वे ही अभीष्ट को अर्जीत करते हैं। इस संदर्भ में भी किसी कवि ने अपने बेमिसाल शब्दों में ठीक ही कहा है कि-
जिन्दगी काँटों भरा सफर है, हौसले इसकी पहचान हैं।
रास्तों पर चलते सभी है, जो रास्ता बनाए वह महान है।।
अतएव साहस ही हमारे जीवन का मुख्य आधार है। इसके बिना जीवन नीरस प्रतीत होता है। राजिया के शब्दों में भी कितनी यथार्थता झलकती है देखो-
हिम्मत कीमत होये, बिन हिम्मत कीमत नहीं। करे न आदर कोय, रह कागद ज्यूं राजिया।।
हिम्मत में अद्भूत शक्ति छिपी होती है। भाषा सार संग्रह दूसरा भाग पृष्ठ 62 से ज्ञात होता है कि- मोली नामक एक स्पेन देश का मुखिया किसी समय पीडित अवस्था में अपनी शय्या पर पड़ा था और उसकी सेना पुर्तगाल वालों से लड रही थी, जब उसने सुना की मेरी सेना हार रही है, तब उससे न रहा गया और व्याकुल हो उसी अवस्था में साहस कर वह शय्या से कूद पड़ा और पुरूषार्थ के बल से दौड़ाता हुआ रणभूमि में आकर शत्रुओं से लडने और अपनी सेना के वीरों को ललकारने लगा। इस पीडित व्यक्ति को लडते देख उसके वीरों में ऐसा साहस और पुरूषार्थ उमड़ा और वे शत्रुओं से ऐसा जी खोलकर लड़े कि बैरियों के छक्के छूट गए और उनसे भागते ही बन पड़ा। उस लड़ाई के पीछे मोली मोलिक घर पर आया और अपनी शय्या पर लेटते ही मर गया।
इससे आप अनुमान लगा सकते हैं कि साहस में कितनी शक्ति है समाहित है ? ऐसी कई घटनाएं पढने को मिलती हैं , जो हमारे भीतर सोयी शक्ति को जागृत कर हार को जीत में बदल देती हैं। इस शक्ति को पहचानने का प्रयास करना चाहिए और मुसीबतों से कभी घबराना नहीं चाहिए। क्योंकि साहस सफलता की कसौटी है। तभी तो पुरूषार्थी कहते है-
आँधियों से कह दो जरा औकात में रहें। हम परों से नहीं , हौसलों से उड़ा करते हैं।।
अतः हौंसलों से उड़ान भरने बाले ही अपने जीवन को सार्थक बना अतीत के आंगन में रोशनी फैला सकते हैं । तभीं तो स्वामी विवेकानन्द ने कहा है- पीछे मत देखों , आगे देखो। अनंत उत्साह,अनंत साहस और अनंत धैर्य के सहारे ही महान कार्य किए जा सकते हैं।