Thursday, December 14, 2017

समाज में बढ़ रही नशे की लत-हिमांशु विश्वकर्मा


खुद बिगड़े हो तुम जो अब तो
बच्चों को क्या सिखलाओगे,
खुद जो करने लगे नशा हो
उनको कैसे बचाओगे?
कोई भी माँ बाप अपने बच्चों के लिए आदर्श होते हैं, उनको देख कर ही बच्चे जीवन की पहली पाठशाला शुरू करते हैं। माँ बाप के क्रिया कलापों से बच्चे अपने भविष्य की सीख लेते हैं, किन्तु जब माँ बाप ही बच्चों के सामने नशे का सेवन करने लगते हैं तो बच्चे भी उनको देख कर नशे की तरफ अग्रसर होते हैं, इसमें कोई संशय नहीं है। कई माँ तो गर्भ में शिशु होने के उपरांत भी पौष्टिक आहार की जगह गुटखा, तम्बाकू इत्यादि का सेवन करती हैं, तो इस प्रकार तो जन्म से पहले ही शिशुओं की रगो में नशा समाता जा रहा है।

आज नशा हमारे समाज के लिए एक विकराल समस्या बनता जा रहा है, हम अपने बचपन से सुनते आ रहे हैं कि, नशा एक बुरी लात है। और सब कुछ सुनने समझने के बाद भी आदमी स्वयं को इस जाल में फंसने से नहीं रोक पाता, पता नहीं ऐसा क्या है इस नशे मे? ये एक ऐसा दीमक है जो समाज को अंदर ही अंदर कमज़ोर कर रहा है। एक 25-30 वर्ष का युवा सुबह होते ही अपनी दिनचर्या गुटखा, सिगरेट, तम्बाकू इत्यादि से शुरू करता है, वह नित्य क्रियाएँ बाद में करता है, नशे का सेवन पहले करता है। सरकार समाज की हितैषी होती है, जो समय समय पर समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, सोशल मीडिया, टी वी चैनलों, रेडियो इत्यादि के माध्यम से नशे से होने वाले दुष्परिणामों से जनता को जागरूक करती है। आप टी वी पर कोई फ़िल्म देखें जैसे ही कोई व्यक्ति धूम्रपान करता दिखता है, तुरंत ही नीचे छोटे अक्षरों में लिख कर आ जाता है, "धूम्रपान स्वस्थ्य के लिए हानिकारक है, इस से कर्क(कैंसर) रोग होता है". यह सब क्यों है, सिर्फ आपकी सुरक्षा के लिए, लेकिन उसके बाद भी हम नहीं चेतते हैं, शराब की बोतलों, गुटखे के पैकेटों, सिगरेट, बीड़ी, इत्यादि पर लिखी चेतावनी को नज़र अंदाज़ करके हम इन नशा संबंशी सामग्री को एक बार में गटक जाते हैं।
नशा घर के खुशियों भरे माहौल में भी आग लगा देता है, बड़े बड़े घर नशे की आग में तिनके की तरह जल जाते हैं। नशा करने के बाद व्यक्ति का अपनी इन्द्रियों पर नियंत्रण समाप्त हो जाता है, और जिसके कारण वह घर में गाली, गलौज, मार पीट इत्यादि करने लगता है, जिसका परिवार पर बुरा असर पड़ता है, विशेष रूप से बच्चों पर। बच्चे तनाव में रहने लागतें हैं, जिसके कारण  उनकी शिक्षा, एवं आचार व्यवहार पर बुरा प्रभाव पड़ता है, और इन सब कारणों के चलते उनका भविष्य भी गर्त में चला जाता है। महिलाएं तनाव में रहती है, परिवार की शांति भंग हो जाती है और कई बार नशे से प्रभावित हो कर वे आत्महत्या तक करने का निर्णय ले लेती हैं।
नशे का सबसे बड़ा दुष्प्रभाव स्वस्थ्य पर पड़ता है, आज कल देखा गया है की कम आयु में ही बच्चों, नौजवानो, पुरुषों को कैंसर जैसी गंभीर बीमारी हो जाती है जिसका इलाज़ काफी महंगा भी है, और समय से इलाज न मिल पाने के कारण एवं धन के आभाव में परिवार अपना एक महत्वपूर्ण सदस्य खो देता है, जिसका दंश वह परिवार जीवन भर झेलता है। आखिर ऐसा क्या ज़रूरी है इस नशे में जो आपके व आपके परिवार की खुशियों में आग लगा दे। विश्वकर्मा समाज भी इस से अछूता नहीं है। मेरा निवेदन अपने समाज व अन्य समाज के सभी उन लोगों से है, जो किसी भी प्रकार का नाश करते हैं, मेरी उनसे हाँथ जोड़ कर विनती है, की कृपया नशे को आज से ही तिलांजलि दें, एवं खुशियों को अपनाये, एवं बच्चों को अच्छी शिक्षा दे, और उनको देश की सेवा के लिए एक अच्छा इंसान बनने के लिए प्रेरित करें। मेरा लेख पढ़ने के बाद यदि एक वयक्ति भी नशा छोड़ता है, तो मैं समझूँगा कि मेरा ये लेख लिखना सार्थक रहा।
धन्यवाद्
आपका:
हिमांशु विश्वकर्मा
सहायक प्रबंधक
भारतीय स्टेट बैंक
मुख्या शाखा, गोरखपुर

मोब. 9451149914

Saturday, December 9, 2017

विश्वकर्मा एकीकरण अभियान के दिसंबर अंक के प्रकाशन की सूचना

विश्वकर्मा एकीकरण अभियान त्रै मासिक सामाजिक पत्रिका के दिसंबर अंक का प्रकाशन प्रस्तावित है, अपने लेख, विचार, विज्ञापन व संदेश एवं वैवाहिक विज्ञापन शीघ्र निम्न पते पर मेल करें अथवा कार्यालय के पते पर पोस्ट करें।
Email- ediveain@gmail.com
कार्यालय- 180, हुण्डाल खेल, शाहजहाँपुर, उत्तर प्रदेश, 242001

विश्वकर्मा एकीकरण अभियान त्रै मासिक पत्रिका का विमोचन समारोह सम्पन्न

शाहजहाँपुर, 1 अक्टूबर । विश्वकर्मा एकीकरण अभियान वह आन्दोलन है जो सत्तर वर्षों से राजनीतिक उपेक्षा का शिकार विश्वकर्मा समाज को सत्ता में भागेदारी दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है। विश्वकर्मा एकीकरण अभियान त्रै मासिक पत्रिका इस आन्दोलन को आगे बढाने में एक पतवार के रूप में कार्य करेगी।
        उक्त विचार विश्वकर्मा एकीकरण अभियान सामाजिक पत्रिका के प्रवेशांक के विमोचन समारोह में मुख्य अतिथि समाज सेवी मुन्ना लाल शर्मा ने व्यक्त किये। उन्होने विश्वकर्मा समाज  के एकीकरण व उसकी आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला।
          लखीमपुर जनपद के श्रम प्रवर्तन अधिकारी विद्या प्रकाश शर्मा ने समाज में साहित्य की उपयोगिता को रेखांकित करते हुये कहा कि साहित्य हि किसी समाज का दर्पण होता है। इसलिए निरंतर साहित्य  का सृजन होते रहना ही हमारे लिए प्रेरणादायी है।
              राजकीय महाविद्यालय कांट में सहायक प्रोफेसर डा. सुधीर कुमार शर्मा ने कहा कि हमारी पहचान हमारा साहित्य है। साहित्य को आम जन तक पहुचाने में पत्र पत्रिकाओं का बहुत महत्व है। अध्यापक रोशन लाल शर्मा ने समाज में शिक्षा की उपयोगिता और उसका महत्व बताया। अध्यापक हिमांचल शर्मा ने कहा कि अपने नौनिहालों को अच्छी शिक्षा दिलाकर ही हम विश्वकर्मा समाज को उसका हक दिला सकते है।
                सम्पादक नरेश पाँचाल ने कहा कि वर्तमान युग में संचार माध्यम ही हमारी प्रगति का मुख्य आधार है। विश्वकर्मा एकीकरण अभियान पत्रिका समाज में जागरूकता पैदा करने में सहायक सिद्ध होगी ऐसा मुझे विश्वास है।

                   विमोचन समारोह में रामनिवास शर्मा, डा. महेश योगी, ओम प्रकाश शर्मा, ओम प्रकाश मैथिल, रामखिलावन शर्मा, रामू शर्मा आदि ने भी विचार व्यक्त किये। अध्यक्षता मा. राजेश शर्मा ने की संचालन नरेश पाँचाल ने व आभार प्रदर्शन रमेश चन्द्र शर्मा एडवोकेट ने किया। आयोजन में संदीप शर्मा, पवन शर्मा, अनुज शर्मा, अभय शर्मा व अनूप पाँचाल आदि का महत्वपूर्ण योगदान रहा।